श्री कृष्ण के जीवन में राधा और रुक्मिणी दोनों ही महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। राधा को उनकी प्रेमिका और रुक्मिणी को उनकी पत्नी माना जाता है। परंतु क्या आपको पता है कि राधा, कृष्ण और रुक्मिणी के बीच कैसा सम्बन्ध था? कौन से गुणों से ये तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए थे? कौन से भावों से ये तीनों एक-दूसरे को प्रेम करते थे? आइए, हम इस पोस्ट में इन सवालों के जवाब ढूंढने का प्रयास करेंगे। राधा, कृष्ण और रुक्मिणी का सम्बन्ध राधा, कृष्ण और रुक्मिणी का सम्बन्ध प्रेम, सेवा और सहयोग से परिपूर्ण है। - **प्रेम**: राधा, कृष्ण का प्रेम है, कृष्ण, राधा का प्रेम है। राधा-कृष्ण का प्रेम माधुर्य-लीला में प्रकट होता है, जहां वे प्रेम-मुग्ध होकर नाचते, गाते, हंसते हैं। राधा-कृष्ण का प्रेम प्रतिक्रियात्मक नहीं, प्रेरक है, जो समस्त संसार को प्रेम-मय करता है। - **सेवा**: रुक्मिणी, कृष्ण की सेवा है, कृष्ण, रुक्मिणी की सेवा है। रुक्मिणी-कृष्ण का सम्बन्ध सेवा-लीला में प्रकट होता है, जहां वे पति-पत्नि के रूप में संसार में निभाते हुए प्रेम से सेवा करते हैं।
Why sanatan dharma plays important role in human life | importance of sanatan dharma | Hindu Scriptures
An importance of sanatan dharma in the human life: Sanatan dharma is a term that refers to the eternal truth and teachings of Hinduism. It is not a religion, but a way of life that is based on the universal laws that govern all living beings with a conscience. Sanatan dharma is derived from the Vedas, which are the oldest scriptures of humanity, and which contain the knowledge revealed by God to the sages in deep meditation. Sanatan dharma has many benefits for human life, as it helps us to understand our true nature, our purpose, and our destiny. Some of the benefits are: - Sanatan dharma teaches us that we are not the body, but the soul, which is immortal and divine. The body is a temporary vehicle for the soul to experience the world and to evolve spiritually. The soul undergoes a cycle of birth and rebirth, according to its karma, or actions and reactions. The goal of human life is to attain moksha, or liberation from this cycle, by realizing our true identity with God. - Sanatan d